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पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.

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समय का अभाव है तो नवरात्रि के click here नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.

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